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“भारत जोड़ो यात्रा” में बच्चों को साथ आने पर, राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग से की गई शिकायत।

“भारत जोड़ो यात्रा” में बच्चों को साथ आने पर, राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग से की गई शिकायत।
भारत जोड़ो यात्रा के दौरान, राहुल गांधी की कुछ बेहद स्वाभाविक तस्वीरें बच्चो के साथ आई हैं और लोग उन तस्वीरों पर अपनी टिप्पणी कर रहे हैं। ऐसी यात्राएं या आयोजन जहां से गुजरते या होते हैं, वहां के लोगों की उत्कंठा स्वाभाविक रूप से जगाते हैं और अक्सर बच्चे, महिलाएं, उन आयोजनों में सम्मिलित हो जाते हैं। 


इस भारत जोड़ो यात्रा के साथ भी, ऐसा ही कुछ हो रहा है। गांवों, कस्बों और शहरों से गुजरने वाली इस यात्रा में लोग अपने बच्चों सहित शामिल हो रहे हैं और आज के सेल्फी प्रधान युग में, अधिकतर की यह उम्मीद और कोशिश रहती है कि, वह राहुल गांधी के साथ कोई सेल्फी ले ले या फोटो खिंचा लें। 

ऐसे अवसरों पर छोटे छोटे बच्चे उत्साह, उत्कंठा से भरे हुए सबका ध्यान खींचते हैं और उन पर बरबस प्यार उमड़ आता है। ऐसे ही कुछ बच्चो के साथ कभी उन्हे प्यार करते, तो कभी उनका हांथ पकड़ कर यात्रा में साथ साथ चलते, कभी उन्हे गोद में उठाए हुए, राहुल गांधी की कुछ तस्वीरें जब सोशल मीडिया पर वायरल होने लगीं तो, यह भी, विवेकानंद की प्रतिमा को प्रणाम किए बिना यात्रा प्रारंभ करने के, स्मृति ईरानी के मिथ्या आरोप, 42 हजार रुपए की बरबरी टी शर्ट की तरह बीजेपी की तरफ से आलोचना का एक मुद्दा बनने लगीं।

यह आरोप लगाया गया कि, यात्रा में बच्चों को जबरन शामिल करके उनका उत्पीड़न किया जा रहा है और यह शिकायत, राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग से की गई है। खबर है कि, बाल अधिकार आयोग ने इस आरोप पर संज्ञान लिया है। अब यह स्पष्ट नहीं है कि, राहुल गांधी पर लगाया गया यह आरोप केवल कुछ, उन चित्रों पर आधारित हैं, जिनमे बच्चे राहुल गांधी के साथ हिलमिल रहे हैं या किसी ने कोई स्पष्ट शिकायत, यात्रा के संदर्भ में की है, या यह भी, बीजेपी की परेशानी का ही एक उदाहरण है। अब इंतजार है कि, राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग, इन शिकायतों पर क्या कार्यवाही करता है। 
राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग को, बच्चो से जुड़े उत्पीड़न और अन्याय के मामलों में स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार भी है। नीचे के कुछ चित्र देखें। एक में राहुल गांधी बच्चो के साथ यात्रा में हैं


और दूसरे फोटोग्राफ में कुछ बच्चे, आरएसएस के शिविर में तलवार आदि शस्त्र की शिक्षा लेते दिख रहे हैं।


बच्चो को प्यार, दुलार और सहज भाव से उनके साथ खेलना, बतियाना, कुछ समय के उम्र को भूल कर उन जैसा बन जाना एक बेहतर व्यवहार है कि, उन्हे छोटी उम्र में, हिंसक बनाना, मस्तिष्क को, प्रतिशोध से भरने की कोशिश करना और अनावश्यक रूप से, उन्हे, उन हथियारों की सोहबत में शस्त्र शिक्षा के नाम पर रखना, जो उन्हे हिंसक बनाते हैं ? यह आप खुद, अपने बच्चे को किस रूप में ढालना चाहते हैं तय करें। 
पर, प्यार और दुलार में उत्पीड़न खोजने और उसकी शिकायत करने वालों को आरएसएस की बच्चों के प्रति इस शस्त्र प्रशिक्षण में, उत्पीड़न का कोई अंश दिखा या नहीं यह प्रश्न है। बीजेपी आरएसएस के विचारकों का यह तर्क हो सकता है, बच्चो को खेलकूद, शस्त्र, शारीरिक व्यायाम के लिए प्रेरित करना बुरा नहीं है। तो फिर, उनके साथ खेलना, उनके साथ, प्यार और दुलार से कुछ वक्त गुजारना, उनका उत्पीड़न करना कैसे हो गया यह प्रश्न कांग्रेस भी कर रही हैं।

बच्चो का उत्पीड़न तब होता है जब किसी वीआईपी मुआयने के समय, उन्हे धूप में, एक तमाशाई भीड़ का अंग बनाकर, रखा जाता है और, वीआईपी के विलंबित होते कार्यक्रम के बावजूद बच्चे, कभी कभी भूखे प्यासे, काग़ज़ का, तिरंगा लिए, मुरझाए चेहरों और कुछ तो, डबडबाई आंखों के साथ उस वीआईपी का इंतजार करते रहते हैं, जिसकी नजर, शायद ही इन बच्चों के कुम्हलाए गालों पर पड़ती हो। बच्चो की भाषा और भाव कभी भी, अहंकार, गरिमा, पद, आदि जैसे भारी भरकम लबादे ओढ़ कर नहीं समझी जा सकती है।

बीजेपी यदि भारत जोड़ो यात्रा की लोकप्रियता से असहज हैं तो, उसका राजनीतिक विरोध करना उचित है, जो सवाल उठाए जा रहे हैं, उनका जवाब दिया जाना चाहिए।


(Credit: विजय शंकर सिंह)

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